उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कानूनन अपराध
लखनऊ | उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश में कैदियों द्वारा जेलों के अंदर मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि नियम का उल्लंघन करने पर अपराधियों को तीन-पांच साल के कठोर कारावास और 20000-50000 रुपये के जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य की जेलों में कैदी अनुशासन के लिए कारागार अधिनियम-1894 के प्रावधानों में संशोधन कर नया नियम लागू किया गया है। यूपी समाचार
सरकार के इस फैसले के बाद अब जेलों के अंदर कैदियों द्वारा मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल करने पर रोक लगाई लगाई जा सकेगी।
आधिकारिक बयान के अनुसार, "अगर राज्य की जेलों में कोई भी कैदी जेल परिसर के अंदर या बाहर किसी भी प्रकार के वायरलेस संचार उपकरण का उपयोग करते हुए पाया जाता है, तो दोषी मिलने पर उसे तीन से पांच साल के कठोर कारावास और 20,000-50,000 रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।"
इस नियम के साथ, मोबाइल फोन, वाईफाई, ब्लूटूथ, नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी), टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप, पामटॉप, इंटरनेट, जीपीआरएस, ई-मेल, एमएमएस, या कोई अन्य डिवाइस जैसे मोबाइल सिम का उपयोग किसी भी तरह से जेल परिसर के अंदर या बाहर कैदियों द्वारा नहीं किया जा सकता है।
Original Source:- shorturl.at/ewxLV
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