World Hypertension Day 2022: इस दिन है ‘वर्ल्ड ‘हाइपरटेंशन’ डे’, जानिए लक्षण से लेकर सबकुछ
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नई दिल्ली | हर साल 17 मई को ‘वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे’ यानी कि ‘उच्च रक्तचाप’ ( World Hypertension Day ) मनाया जाता है। इस दिन लोगों को हाइपरटेंशन के प्रति जागरूक किया जाता है। हाइपरटेंशन किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। हाइपरटेंशन का अधिक खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरूषों में होता है। 130/80 से ऊपर का रक्तचाप, उच्च रक्तचाप या ‘हाइपरटेंशन’ कहलाता है।
नई दिल्ली | हर साल 17 मई को ‘वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे’ यानी कि ‘उच्च रक्तचाप’ ( World Hypertension Day ) मनाया जाता है। इस दिन लोगों को हाइपरटेंशन के प्रति जागरूक किया जाता है। हाइपरटेंशन किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। हाइपरटेंशन का अधिक खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरूषों में होता है। 130/80 से ऊपर का रक्तचाप, उच्च रक्तचाप या ‘हाइपरटेंशन’ कहलाता है।
जानिए क्या होता है हाइपरटेंशन
हाइपरटेंशन, जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल ( Heart ) को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। Blood Pressure में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता ( Diastole ) हो रही है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक ( Highest-Reading ) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक ( Bottom-Reading ) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है।
High Blood Pressure के लक्षण
उच्च रक्तचाप ( High Blood Pressure ) शायद ही कभी कोई लक्षण दिखाता है और आमतौर पर इसकी पहचान स्क्रीनिंग के माध्यम से होती है या जब इससे असंबंधित स्वास्थ्य समस्या के लिए देखभाल जरूरत पड़ती है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित कुछ लोग सिरदर्द, इसके साथ ही चक्कर आने की, वर्टिगो टिनिटस ‘ कान में गूंज या फुसफुसाहट की आवाज’, दृष्टि परिवर्तन और बेहोशी की शिकायत करते हैं। शारीरिक परीक्षण में उच्च रक्तचाप का शक तब होता है जब ऑप्थेल्मोस्कोपी का उपयोग करते हुये आंखों के पीछे की ओर ऑप्टिक फंडस की जांच के समय हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी का पता चलता है। Top hindi news
उच्च रक्ततचाप के कारण
चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, भय आदि मानसिक विकार।
कई बार, बार-बार या आवश्यकता से अधिक खाना।
मैदा से बने खाद्य, चीनी, मसाले, तेल-घी अचार, मिठाईयां, मांस, चाय, सिगरेट और शराब आदि का सेवन।
नियमित खाने में रेशे, कच्चे फल और सलाद आदि का अभाव।
श्रमहीन जीवन, व्यायाम का अभाव।
पेट और पेशाब संबंधी पुरानी बीमारी।
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